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    Sundarta Ka Roop Nikhare.

      👉 किसी शायर ने 'मौत' को खूब कहा है| 

    जिंदगी में दो मिनट कोई पास बैठा, आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे |
    कोई तोहफा न  मिला आज तक, आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे |
    तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए, और आज कंधे पे कंधे दिए  जा रहे थे |
    दो कदम साथ चलने को तैयार था कोई और आज काफिला बन साथ चले जा रहे थे |
    आज पता चला मुझे कि मौत कितनी हसीन होती है कम्बख़त हम तो यूं ही जिंदगी जीए जा रहे थे | 

    जिस शरीर को लोग सुन्दर समझते है मौत के बाद वो शरीर सुन्दर क्यों नहीं लगता; उसे घर में रखकर; जला क्यों दिया जाता है? जिस शरीर को सुन्दर मानते है ज़रा उसकी चमड़ी तो उतार के देखो तब हकीकत देखेगी भीतर क्या है?
    भीतर तो बस रक्त, रोग, मल और कचरा भरा पड़ा है; फिर यह शरीर सुन्दर कैसे हुआ?
    👉 शरीर में कोई सुंदरता नहीं है| 

    👉 सुन्दर होते है 👇

            👉व्यक्ति के कर्म
            👉उसके विचार
            👉उसकी वाणी 
            👉उसका व्यव्हार
            👉उसके संस्कार 
            👉और उसका चरित्र 
    जिसके जीवन में ये सब है वही इंसान दुनिया का सबसे सुन्दर शख्स है| 

     👉 खुश 🙂 रहने का फार्मूला

    👉 जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है उसी पल से आपकी पहचान एक बॉडी बन जाती है|
    👉अरे बॉडी लेके आईये|
    👉बॉडी को उठाइये|
    👉बॉडी को सुलाइये| 
     ऐसे शब्दों से आपको पुकारा जाता है| वे लोग भी आपको आपके नाम से नहीं पुकारते; जिन्हे प्रभावित करने में अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी| इसलिए इधर-उधर से ज्यादा इक्कठा करने की ज़रुरत नहीं है|
     👉अच्छे से कमाओ,अच्छे से खाओ और अच्छे से सो जाओ|  
     👉जीवन में आने वाली चुनौती को स्वीकार करे| 
     👉अपनी पसंद के चीजों के लिए खर्चा कीजिये| 
     👉इतना हसीये की पेट दर्द हो जाय| 
     👉आप कितना भी बुरा नाचते हो फिर भी नाचिये, उस ख़ुशी 🙂 को महसूस कीजिये|  
    👉फोटोज के लिए पागलो वाली पोस दीजिये बिलकुल छोटे बच्चे बन जाइये| 

    क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है| लॉस तो वो है कि: आप जिन्दा होकर भी अपने अंदर जिंदगी जीने की आश खत्म कर चुके है|
     👉हर पल ख़ुशी 🙂 से जीने को ही जिंदगी कहते है |
     
    जिंदगी है छोटी; हर पल में खुश 🙂 हूँ|
    काम में खुश हूँ; आराम में खुश 🙂 हूँ| 
    आज पनीर नहीं; दाल में खुश 🙂 हूँ|
    आज गाड़ी नहीं; पैदल ही खुश 🙂 हूँ|
    दोस्तों का साथ नहीं; अकेला ही खुश 🙂 हूँ| 
    आज कोई नाराज़ है; उसके इस अंदाज़ से ही खुश 🙂 हूँ|
    जिसको देख नहीं सकता; उसकी आवाज़ से ही खुश 🙂 हूँ|
    जिसको पा नहीं सकता; उसको सोच कर ही खुश 🙂 हूँ|
    बीता हुआ कल जा चुका है; उसकी  मीठी याद में खुश 🙂 हूँ| 
    आने वाले कल का पता नहीं; इंतज़ार में ही खुश 🙂 हूँ|
    हसता हुआ बीत रहा है पल; आज में खुश 🙂 हूँ|
    जिंदगी है छोटी; हर पल मैं खुश 🙂 हूँ| 
    👉अगर दिल ❤️ को छुआ हो तो जवाब देना वरना बिना जवाब के भी खुश 🙂 हूँ| 

     धन्यवाद🙏                                                  👉 📝सचिन कुमार प्रजापति 


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