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    Experiment on Life by Jashua bell.

    दिसंबर की एक ठंडी सुबह थी। जगह थी AMERICA की WASHINGTON D C का मेट्रो स्टेशन। उधर एक आदमी एक-दो घंटे से अपना VIOLIN बजा रहा था। इस दौरान उस जगह से कऱीब तीन हज़ार लोग गुजरे। ज्यादातर लोग उस समय अपने काम से जा रहे थे। उस आदमी VIOLIN बजाना शुरू किया। २-३ मिनट बाद एक आदमी का ध्यान उसकी तरफ गया। उसकी चाल धीमी हुई और वह कुछ पल के लिए रुका और फिर जल्दी से निकल गया। पाँच मिनट बाद VIOLIN वादक को पहला सिक्का मिला। एक महिला ने उसकी टोपी में सिक्का डाला और बिना रुके चली गयी। कुछ देर बाद एक युवक उसे सुनता रहा आगे चला गया। दस मिनट बाद एक पाँच साल का बच्चा वहाँ रुका पर जल्दी में दिख रही उसकी माँ उसे खींचती हुई ले गयी। वह बच्चा मुँह मोड़कर उस VIOLIN वादक को देखता रहा। ऐसा ही कई बच्चो ने किया पर उनके माता-पिता उन्हें घसीटते हुए ले गए। ५० मिनट बाद वह अभी भी VIOLIN  बजा रहा था। अब सिर्फ ६-७ लोग ही रुके थे उन्होंने भी कुछ  देर ही उसे सुना। लगभग  २०-२५ आने जाने लोग ने उसे सिक्का निकाल कर दिया पर रुके बिना ही आगे बढ़ गए। वादक को कुल मिला कर ५५ सिक्के ही प्राप्त हुए। दो घंटे बाद उसने VIOLIN बजाना बंद कर दिया। उस जगह पर शांति सी छा गयी। इस बदलाव पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। किसी ने उस वादक की तारीफ़ नहीं की। किसी भी इंसान ने उसे नहीं पहचाना कि वह वादक VIOLIN बजाने वाला कौन है ? वह VIOLIN वादक था विश्व का महान VIOLIN वादकों में से एक JOSHUA BELL . JOSHUA १६ करोड़ रूपये के अपने उस VIOLIN से इतिहास की सबसे मुश्किल धुन बजा रहे थे। दो दिन पहले ही उन्होंने FOSTER शहर में मंचीय प्रस्तुति दी थी। जहा की सबसे सस्ती ENTRY TICKET जानते है कितनी रूपये की थी -१००$ की। ये सच्ची घटना है दोस्तों। JOSHUA BELL एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र यानि FAMOUS NEWS PAPER के द्वारा गहन बोध और समझ को लेकर किये गए एक सामाजिक प्रयोग का हिस्सा बने थे। इसका मकसद था कि ये पता लगाना कि किसी सार्वजानिक जगह पर किसी अटपटे समय में हम ख़ास चीजों में कितना ध्यान देते है। क्या हम सुंदरता या अच्छाई की सरहाना करते है। क्या आम अवसरों पर हम प्रतिभा की पहचान करते है। सोचिये जब दुनिया का महान वादक बेहतरीन साज से इतिहास की कठिन धुनों में से एक धुन बजा रहा था; तब कि
    सी के पास इतना TIME नहीं था कि कुछ पल रूककर उसे सुने। तो सोचे हम कितनी सारी दूसरी बातों से वंचित हो गए है इसके जिम्मेदार कौन है। आज के इस दौड़ में हर कोई अंधाधुंध दौड़ रहा है। दूसरो के लिए दूर की बात अपनी खुद की जिंदगी के कुछ हसीन पल जीने के लिए किसी के किसी के पास ठीक से TIME भी नहीं है। इसी अंधाधुंध दौड़ में हम सब लोग अपनी-अपनी जिंदगी के कई ख़ास पलों को खो चुके है। TIME बीत जाने के बाद हमेशा लगता है TIME कैसे बीत गया पता ही नहीं चलता।
    जिंदगी की इस दौड़ में हमारे अपने ही नहीं; हम खुद भी पीछे छूट जाते है और हमे ये एहसास भी नहीं होता कि गलती कहाँ हुई थी? काम किसी के लिए भी बुरा नहीं होता लेकिन किसी भी चीज की अति हमेशा हानिकारक साबित होती है। 

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